कबीरा और सगिराह गुनाह

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    कबीरा और सगिराह गुनाह
    इंसानों के शफीक परवरदिगार ने जो दीन अपने रसूल मुहम्मद (सल्ल.) के ज़रिए दिया उसमे कुछ कामोंको करनेका हुक्म (अवामीर) दिया, और कुछ कामोंसे मना (नवाही) फ़रमाया|
    अल्लाह तआला की रहमानियत की शान ये है की अल्लाह ने उन्ही चीजों को और कामोंको "हराम" किया जो इंसानी जिंदगी और इंसानी मुआशरत के लिए सख्त नुकसानदेह हैं |
    गुनाह नाम है ऐसे कामोंका जो अल्लाह के हुक्म और मर्जी के खिलाफ हो | उलेमा ने गुनाहोंकी दो किस्मे बतलाई हैं , कबीरा गुनाह और सगीरा गुनाह |
    मुहम्मद बिन काब कुर्तुबी रह . ने फ़रमाया ,"अल्लाह की सबसे बड़ी इबादत यह है के गुनाहोंको तर्क (छोड़) किया जाये , जो लोग नमाज-तस्बीह (और दीगर इबादत ) के साथ गुनाहोंको नहीं छोड़ते , उनकी इबादत मकबूल नहीं |" और तजरुबाभी यही है के जो लोग गुनाहों के साथ नेकिया करते हैं उनको नेकियो में लज्जत और सुरूर महसूस नहीं होता, क्योंकि "लानत" और "रहमत" एक जगह जमा नहीं हो सकती |
    गुनाहों से बचने वालोंके लिए अल्लाह तआला ने वादा फ़रमाया है , अल्लाह तआला अपने कलाम--पाक में फ़रमाया ,
    (सूरत अल निसा :आयत ३१)
    तर्जुमा : "अगर तुम इन बड़े गुनाहोंसे बचोगे , जिनसे तुम्हे मना किया गया, तो हम तुम्हारे छोटे गुनाह मुआफ कर देंगे और तुम्हे इज्जत के मक़ाम ( यानी जन्नत ) में दाखिल कर देंगे |"
    उम्मत के अजीम उलेमा--रब्बानी  ने कुरान और हदीस के इल्मी समंदर से कबीरा और सगीरा गुनाहोंको निकाल कर आम लोगोंके लिए आसान कर किया ताकि हम उन गुनाहोंसे बच सके |









    गुनाहों के नुकसानात
    गुनाहों का सबसे बड़ा नुकसान उस शफीक परवरदिगार की नाराजगी मोल लेना है जो हर आन नेअमतों की बारिश करता रहता है | हकीक़त में गुनाहोंमे मुब्तला होना अल्लाह के साथ "नमकहरामी" है| अल्लाह की जमीन पर रहके उसकी दी हुई नेअमते इस्तेमाल करके उसकी नाफ़रमानी करने पर जितना भी नुकसान हो कम है |
    उलेमा इकराम फरमाते हैं  "किसी गुनाह को "गुनाह" समझकर  करने से ईमान कमजोर होता है , और किसी गुनाह को "जायज " समझकर  करनेसे  ईमान चला जाता है | "
    हकीमुल उम्मत हज़रात मौलाना अशरफ अली (रह.) ने  गुनाहों में मुब्तला होने के कुछ नुकसानात तहरीर फरमाए है, वो हस्बे जेल हैं {अल्लाह हम सब की हिफाजत फरमाए }
    ) खुदा की याद से वहशत होना | {अल्लाह को याद करने या दुआ मांगने में  दील न लगना} |
    ) इल्म ए दीन से महरूम होना |
    ) रोजी कम हो जाना |
    दिलमे सफाई न रहना | {बात बात पर लोगोंपर घुस्सा आना }
    ) दिलमे और कभी कभी पुरे बदन में कमजोरी पड़ना |
    ) फरमाबरदारी से महरूम रहना ( नेक कामो की तोफिक छीन जाना)|
    उम्र कम होना |
    ) तोबा की तौफिक छीन जाना |
    ) गुनाहों की बुराई दील से ख़त्म होना |
    १०) पैदावार में कमी होना |
    १२) नेअमतों का छीन जाना |
    १३) बलाओं की भीड़ लग जाना |
    १४) दिल का परेशान रहना|
    १५ मरते वक़्त कालिमा नसीब ना होना |
    १६) खुदा की रहमत से मायूस होना , जिसकी वजह से बे-तोबा मर जाना |  {अल्लाह हम सब की हिफाजत फरमाए}





    कबीरा गुनाह किसे कहते हैं ?
    "जिस गुनाह पर कुरआन के मुताबिक दुनिया में सजा मुक्करर होती हो या जिस गुनाह पर कुरान और हदीस में "लानत" का जिक्र आया हो , या जिस गुनाह पर जहन्नम की वईद आई हो वो गुनाह कबीरा गुनाह है |"
    :कबीरा गुनाहों की फेहरिश्त :
    ) अल्लाह की जात या सिफात में किसी को शरीक करना |) क़ज़ा व कद्र ( तकदीर) का इन्कार करना |) अल्लाह की रहमत से मायूस होना |) अल्लाह के अजाब से बे खौफ होना |) नुजुमियों और कहिनों (भविष्य बताने वाले) को सच्चा मानना|) अल्लाह के अलावा किसी और के लिए जानवर की क़ुरबानी करना| ) नमाज का अपने वक़्त पर अदा न करना|) बिला किसी उज्र के नमाज को जमात से न पढना |) जुम्मे की नमाज को बगैर उज्र के बारबार छोड़ना|१०) जकात का अदा न करना |११) रमजान में बिला उज्र रोजा तोडना |१२) हज्ज की इस्तेदत के बावजूद हज्ज न अदा करना |
    १३) बावजूद कुदरत के अम्र बिल मारुफ़ और नहीं अन्निल मुनकर न करना {अपने घरवालो और
    मातेहातोंको अच्छी बातो का हुक्म और बुरी बातों से न रोकना }१४) किसी हक्क ऐ वाजिब को अदा करने में बुख्ल करना |१५) दुनिया की मुह्हबत {यानी दीन के मुकाबले में दुनिया को तरजीह देना}१६) रसूल (सल्ल) की तरफसे किसी कौल या फेल (हदीस) को बिल कसद झूठ मंसूब करना |१७) दीन का इल्म दुनियावी फायदे के लिए सीखना |
    १८) औलिया अल्लाह को तकलीफ पहुँचाना |१९) किसी सहाबी--रसूल को बुरा कहना|२०) उलेमा और हाफिज ए कुरान को बुरा कहना , उनको बदनाम करने के दरपैं होना |२१) आलिम का अपने इल्म पर अमल न करना |
    २२) कुरान को याद करके भुला देना |
    २३) वालिदैन (माँ - बाप ) की नाफ़रमानी करना |२४) कतारहमी करना { करीबी रिश्ते दरो के हुकूक अदा न करना } २५) तक्कबुर और घमंड करना |२६ रियाकारी (दिखलावा) करना |२७ तहबन्द (लुंगी) या पायजामा (पैंट) को तक्कबुर के तौर पर टक्नोसे निचे लटकाना |२८ जादू सीखना और सिखाना, या उसपर अमल करना |२९) मैदाने जिहाद से भागना( जब मुकाबलेकी कुदरत मौजूद हो)|३०) शराब पीना अगरचे एक कतरा ही हो |(इसी तरह बीअर,भांग,गांजा जैसे नशे की चीजे पीना )|३१ जुवा खेलना |{इसमें इस दौर के मटका,बेटिंग,लॉटरी वगैरह दाखिल है}३२ चोरी करना |३३ डाकाजनी करना |३४) खुदखुशी करना |
    ३५ मुर्तिया और तसवीर बनाना| {जानदार चिजोंकी }
    ३६ लोगों को गाना सुनाना, औरत का गाना सुनाना मुतलकन | ३७) मर्द का रेशमी लिबास या सोने की चीज पहनना |३८ जरुरत से ज्यादा पानी रोके रखना |{जब लोगों को पानी नहीं मिल रहा हो }३९ किसी जानदार को आग में जलाना|
    ४० पेशाब के झिंठो से न बचना | ४१) मुरदार (मरे हुवे) जानवर का गोश्त खाना |४२) खिंजिर (सूवर ) का गोश्त खाना|४३ चुगलखोरी करना |४४ किसी मुसलमान या गैर मुसलमान की गीबत करना |४५ चौरस खेलना या तबला सारंगी वगैरा बजाना |४६ गाने बजाने के साथ रक्स(डान्स) करना |४७ अमानत में खयानत करना |
    ४८ काफिरों की रस्मे पसंद करना |
    ४९ सूद (ब्याज) खाना |५० यतीम का माल नाहक खाना |५१ किसी का माल गजब  करना |५२) रिशवत लेना |५३ मुहायदा (अग्रीमेंट) तोडना (वादा खिलाफी करना)|५४ नापतोल में कमी करना (काँटा मारना)|५५ शहादत को छुपाना जब की उसके सिवा कोई शाहीद (विटनेस) न हो |५६माल में इसराफ़ करना {जरुरत व मसलिहत से ज्यादा खर्च करना}|
    ५७किसी का नाहक खून करना |५८ किसी हकीम (लीडर) का अपने लोगों को धोका देना या उनसे न इंसाफी करना |
    ५९ मुसलमानों के दुश्मन के लिए जासूसी करना | ६० झूठी गवाही देना |६१ झूठी कसम खाना|६२ किसी मुसलमान को जुल्मन नुकसान पहुँचाना |६३) बार बार झूठ बोलना |६४ औरतों का मर्दों जैसा हुलिया बनाना या मर्दों का औरतो जैसा हुलिया बनाना|६५ धोका देना (भरोसे को तोडना )|६६ सदका (हदिया ) देकर एहसान जतलाना और तकलीफ पहुँचाना |६७) लोगों की निजी(प्राइवेट ) बातचीत सुनना|६८ किसी मुसलमान पर लानत करना |६९ लोगों के साथ जुल्म और बुरा सुलूक करना |७० पडोसी को तकलीफ पहुँचाना |
    ७१अपने भाई मुसलमान की तरफ तलवार या चाकू से मारने का इशारा करना |७२लोगों के नसब पर ताने देना {मसलन किसी को "हरामी" कहना}|७३ झगडे लड़ाई का खूगर होना |
    ७४ जमीन में फसाद (लड़ाई झगड़े / दंगल ) फैलाना | ७५ गुनाहों के कामो में मदद करना { या गुनाह करने पर आमादा करना}|७६ अपने अमीर से गद्दारी करना |७७ एहसान करने वाले की नाशुक्री करना |७८ लोगों के उयूब (गलतियाँ) तलाश करना और उनके दर्पे (तलाश) में रहना|७९) मुसलमान का किसी मुसलमान को "काफीर" कहना |८०) मुसलमानों पर गिरानी (तकलीफ) से खुश होना |८१किसी दूसरे के घरमे झांकना |८२ दूसरे के घरमे बगैर इजाजत के दाखिल होना |८३) किसीका मसखरापन करके उसे बेइज्जत और शर्मिंदा करना |
    ८४ पाक दामन औरत पर जीना की तोहमत लगाना|८५अपनी बीवी या बेटी को हराम में मुब्तला करना या उसपर राजी रहना |
    ८६ अपनी औरत को "माँ या बेटी " जैसी कहना | ८७) किसी तलाकशुदा औरत से इसलिए निकाह करना के वो पहले शोहर के लिए हलाल हो |८८औरत का शोहर से बदसुलूकी (नाफ़रमानी) करना |
    ८९ एक से ज्यादा बीवियां हो तो उनके हुकूक में बराबरी न करना |
    ९०)  लड़कियां/ औरतों को मीरास का हिस्सा न देना | ९१अपनी बीवी, नोकरो ,कमजोर लोगो या जानवरों पर ज्यादती करना |९२)  किसी औरत को उसके शोहर के पास जाने और शोहर के हुकुक अदा करने से रोकना |९३जीना करना (परायी औरत से मुंह काला करना )|९४ मर्द का मर्द से (या औरत का औरत से) बदफेली करना |(Homosexuality )९५)  किसी अजनबी औरत को "हराम" काम पर आमादा करना और उसके लिए दलाली करना |९६लोगो के सामने सतर खोलना |९७ अपने हाथ से मुश्तजनी करके शहवत पूरी करना |(Masturbation )९८ हाईजा (हैज वाली ) औरत से जिमाअ (सोहबत) करना |
    ९९) बेरैश (नवउम्र) लड़के की तरफ शहवत से देखना |
    १००किसी सगीरा  गुनाह पर मुदावामत करना| {बार बार करनेसे सगीरा  गुनाह कबीरा बन जाता है |} 


    Sagira Gunah will be added soon... 

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